माँ
माँ- दुःख में सुख का एहसास है, माँ - हरपल मेरे आस पास है । माँ- घर की आत्मा है, माँ- साक्षात् परमात्मा है । माँ- आरती, अज़ान है, माँ- गीता और कुरआन है । माँ- ठण्ड में गुनगुनी धूप है, माँ- उस रब का ही एक रूप है । माँ- तपती धूप में साया है, माँ- आदि शक्ति महामाया है । माँ- जीवन में प्रकाश है, माँ- निराशा में आस है । माँ- महीनों में सावन है, माँ- गंगा सी पावन है । माँ- वृक्षों में पीपल है, माँ- फलों में श्रीफल है । माँ- देवियों में गायत्री है, माँ- मनुज देह में सावित्री है । माँ- ईश् वंदना का गायन है, माँ- चलती फिरती रामायन है । माँ- रत्नों की माला है, माँ- अँधेरे में उजाला है, माँ- बंदन और रोली है, माँ- रक्षासूत्र की मौली है । माँ- ममता का प्याला है, माँ- शीत में दुशाला है । माँ- गुड सी मीठी बोली है, माँ- ईद, दिवाली, होली है । माँ- इस जहाँ में हमें लाई है, माँ- की याद हमें अति की आई है । माँ- मैरी, फातिमा और दुर्गा माई है, माँ- ब्रह्माण्ड के कण कण में समाई है । माँ- ब्रह्माण्ड के कण कण में समाई है । "अंत में मैं बस ये इक पुण्य का काम करता हूँ, दुनिया की सभी माँओं को दंडवत प्रणाम...