'पापा और बेटी' की दिल को छू लेने वाली कहानी:


रविवार का दिन है, 'सीमा ' जो
14 साल की
है, अपने गुड़िया {Doll} के लिए लहंगा सिल रही
है, वही बरामदे में बैठे उसके पापा
पेपर पढ़ रहे हैं,
माँ रसोई घर में खाना बनाने में
व्यस्त है, सीमा
अपनी गुड़िया को दुल्हन की तरह सजा रही
है... सीमा: पापा, देखो मेरी गुड़िया
को... दुल्हन
लग रही है न..? पापा: हाँ, तेरी गुड़िया तो बड़ी
हो गई है,
उसके लिए दुल्हा ढूँढना होगा । सीमा: पापा आप दुल्हा ढूँढ़ दोगे ? पापा: हां, मैं तेरी गुड़िया के लिए
'श्री राम'
जैसा दुल्हा ढूँढ़ दूँगा । सीमा: नहीं पापा 'श्री राम' जैसा
नहीं
चाहिये, उन्होंने माता सीता को
कोई सुख
नहीं दिया, उनकी 'अग्नी
परीक्षा' ली, उसके बाद प्रजा की खुशी के लिए सीता
को जंगल में
भटकने के लिए छोड़ दिया, ऐसे लड़के
से मैं अपनी
गुड़िया की शादी नहीं कर सकती ! पापा: ठीक है, तू चिन्ता मत कर,
श्री कृष्ण
जैसा दुल्हा ढूँढ़ दूँगा । सीमा: श्री कृष्ण की तरह....! जो
राधा से
प्यार करे, रूपमणी से शादी करे, और
गोपियों के
साथ रास-लिला करे, नहीं.. ऐसे
लड़के से मैं अपनी गुड़िया की शादी नहीं कर
सकती । पापा: ठीक है बेटी, अजुर्न की तरह
धनुष धर तो
चलेगा ? सीमा: नहीं पापा, अजुर्न के जैसा
भी नही
चलेगा, अपनी पत्नि को जुआ में
हारने वाले
लड़के के हाथ मैं अपनी गुड़िया का
हाथ नही दे सकती ! पापा: अब मैं क्या करूँ, "तेरी
गुड़िया के लिये
दुल्हा ढूँढ नहीं पाया" !! सीमा: रहने दो पापा, मै 'आज के
भारत' की
बेटी हूँ, पहले मैं अपनी गुड़ियां को
पढ़ा-लिखा
कर काबिल बनाऊंगी, उसे इतना
गुणवान बनाऊंगी कि लड़के वाले मेरी
गुड़िया का हाथ
मांगने खुद आयेंगे, उस वक्त मेरी
गुड़िया जिसको
अपने काबिल समझेगी उसी से उसकी
शादी होगी । पापा: बहुत अच्छा !!!
उनका ध्यान पेपर से हट गया, वह
सोच में डूब गये,
आज बात सीमा कि गुड़िया की हो
रही है,
कुछ दिन बाद मेरी गुड़िया 'सीमा' बड़ी होगी,
उस वक्त कहां से दुल्हा आयेगा, जो
उनकी
सीमा के काबिल होगा, मेरी बेटी
के कितने
उच्च विचार हैं, वह अपनी गुड़िया का हाथ
कितना सोच-समझ कर लायक लड़के के
हाथ में
देने की बात कर रही है, और मै क्या
कर रहा हूं
अपनी गुड़िया के लिये ! वो सोच में डूबे रहते हैं
॥ सीमा: पापा, आप क्या सोच रहे
हो ? पापा: कुछ नहीं, कुछ दिन बाद तु भी
बड़ी हो
जायेगी, और अपने ससुराल चली
जायेगी । सीमा: पापा, मुझे बड़ा नहीं होना,
ससुराल
नही जाना...! पापा: क्यों बेटी? हर लड़की का
सपना होता
है कि उसे अच्छा ससुराल मिले ! सीमा: होता होगा, पर मुझे शादी
नहीं
करना, शादी होने के बाद आप मुझे
पराया कर
दोगे । पापा: नही बेटी, ऐसी बात नही है
। सीमा: पापा, मुझे याद है, बुआ
हमारी अपनी
थी, आपने और दादी ने उनकी शादी
के बाद
पराया कर दिया था, वो ससुराल
वालों से परेशान हो कर दादी के पास रोती
थी, दादी
कहती... बेटी तुम्हारी तकदीर में
यही लिखा
था, शादी तोड़ी नहीं जाता, जैसे
भी हो तुझे वहीं रहना होगा, मायके से बेटी
डोली मे
विदा होती है, ससुराल से अर्थी
पर विदा
होती है, यही लड़की का भाग्य है । पापा: बेटी ऐसी बात नही है ! सीमा: पापा, आपने भी बुआ के लिए
कुछ नही
किया । पापा: बेटी, उस समय कि बात कुछ
और थी, अब
सब ठीक है । सीमा: पापा, कुछ नहीं बदला,
आपका समाज
उस समय जैसा था, आज भी वैसा ही है
मेरे साथ
भी वही होगा और आप चुपचाप
देखोगे ! पापा: नहीं बेटी, तुम्हारे साथ
ऐसा कभी नही
होगा, तुम्हारे ससुराल वाले अच्छे
होंगे । सीमा: इसकी कोई गारंटी है ? पापा: आशा करता हूं, कि अच्छा
ससुराल और
अच्छा दुल्हा ढूँढ पाऊं, सीमा: पापा, मेरी थोड़ी सी
अंगुली जल गई
थी, तो मै कितना रोई थी, उन्होंने
तो बुआ
को ही जला दिया, कितना रोई
होगी.... इतना बोल कर "सीमा भी रोने
लगी" !
पापा पेपर फेंक कर सीमा को गले
लगा लेते हैं,
और खुद भी रोने लगते हैं। रोने की आवाज़ सुनकर सीमा की
मम्मी दौड़
कर आई, और पूछने लगी: क्या हुआ,
बाप-बेटी
क्यों रो रहे हो ? पापा: मैने सीमा को कहा कि तुम्हें
भी
ससुराल जाना होगा, इस बात पर
वह रो रही है
। मम्मी: अभी शादी कहां हो रही है,
आज इतना
रो रहे हो, तो विदाई के समय
कितना रोओगे !
चल बेटी, पापा तुझे चुप क्या
करायेंगे, ये तो खुद रो रहे हैं...... "सीमा को लेकर उसकी मम्मी उसके
कमरे में ले
गये, सीमा बहुत रो रही थी, वह
रोते-रोते सो
गई। इधर' पापा' बरामदे में बैठे बेटी कि
बातों से
चिंतित रो रहे हैं” मम्मी: जी क्या हुआ, आप दोनों
इतना क्यों रो
रहे थे ? पापा: मेरी बहन को उसके ससुराल
वालों ने
जलाकर मार दिया था, वो घटना
सीमा को
याद है, और दिल में डर बन कर बैठ
गया है, वह शादी के नाम से डरती है । मम्मी: उस समय तो वह सिर्फ 8
साल की
थी !! पापा: हां, पर उसे सब याद है ..... मम्मी: अब क्या होगा पापा: उसके इस डर को धीरे- धीरे
निकालना
होगा, आज तुम्हारे सामने अपने आप से एक
वादा करता
हूं कि मैं अपनी बेटी का हाथ उसी के
हाथ में
दूंगा जो उसे पलकों पर बैठा कर
रखेगा । इसके लिए सीमा को गुणवती 'genius'
बनाना
होगा
ताकि ससुराल वाले उसकी कद्र
'respect' करें। मम्मी: हां जी, आप ठीक बोल रहे
हो, जो
गलती एक बार हुई, वह दुबारा
नही होगी ।
पापा: मैनें अपनी बहन खोया है,
बेटी नही खो सकता, मेरी बेटी का "दुल्हा" वही
होगा जो
उसे और उसकी भावनाओं को समझेगा,
चाहे वो
मेरी पसंद का हो या मेरी बेटी के
पसंद का । मैं
अब इस समाज के डर से कुछ भी खोने के
लिए
तैयार नही हूं ॥

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