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Showing posts from August, 2015

'पापा और बेटी' की दिल को छू लेने वाली कहानी:

रविवार का दिन है, 'सीमा ' जो 14 साल की है, अपने गुड़िया {Doll} के लिए लहंगा सिल रही है, वही बरामदे में बैठे उसके पापा पेपर पढ़ रहे हैं, माँ रसोई घर में खाना बनाने में व्यस्त है, सीमा अपनी गुड़िया को दुल्हन की तरह सजा रही है... सीमा: पापा, देखो मेरी गुड़िया को... दुल्हन लग रही है न..? पापा: हाँ, तेरी गुड़िया तो बड़ी हो गई है, उसके लिए दुल्हा ढूँढना होगा । सीमा: पापा आप दुल्हा ढूँढ़ दोगे ? पापा: हां, मैं तेरी गुड़िया के लिए 'श्री राम' जैसा दुल्हा ढूँढ़ दूँगा । सीमा: नहीं पापा 'श्री राम' जैसा नहीं चाहिये, उन्होंने माता सीता को कोई सुख नहीं दिया, उनकी 'अग्नी परीक्षा' ली, उसके बाद प्रजा की खुशी के लिए सीता को जंगल में भटकने के लिए छोड़ दिया, ऐसे लड़के से मैं अपनी गुड़िया की शादी नहीं कर सकती ! पापा: ठीक है, तू चिन्ता मत कर, श्री कृष्ण जैसा दुल्हा ढूँढ़ दूँगा । सीमा: श्री कृष्ण की तरह....! जो राधा से प्यार करे, रूपमणी से शादी करे, और गोपियों के साथ रास-लिला करे, नहीं.. ऐसे लड़के से मैं अपनी गुड़िया की शादी नहीं कर सकती । पापा: ठीक है बेटी, अजुर्न की तरह धनुष ...

सही बात है, मोदी जी ने कुछ काम नही किया है

सही बात है, मोदी जी ने कुछ काम नही किया है | देखो हर साल कांग्रेस कितना काम करती थी, उनके सारे कारनामे | 1987 - बोफोर्स तोप घोटाला, 960 करोड़ 1992 - शेयर घोटाला, 5,000 करोड़।। 1994 - चीनी घोटाला, 650 करोड़ 1995 - प्रेफ्रेंशल अलॉटमेंट घोटाला, 5,000 करोड़ 1995 - कस्टम टैक्स घोटाला, 43 करोड़ 1995 - कॉबलर घोटाला, 1,000 करोड़ 1995 - दीनार / हवाला घोटाला, 400 करोड़ 1995 - मेघालय वन घोटाला, 300 करोड़ 1996 - उर्वरक आयत घोटाला, 1,300 करोड़ 1996 - चारा घोटाला, 950 करोड़ 1996 - यूरिया घोटाला, 133 करोड 1997 - बिहार भूमि घोटाला, 400 करोड़ 1997 - म्यूच्यूअल फण्ड घोटाला, 1,200 करोड़ 1997 - सुखराम टेलिकॉम घोटाला, 1,500 करोड़ 1997 - SNC पॉवेर प्रोजेक्ट घोटाला, 374 करोड़ 1998 - उदय गोयल कृषि उपज घोटाला, 210 करोड़ 1998 - टीक पौध घोटाला, 8,000 करोड़ 2001 - डालमिया शेयर घोटाला, 595 करोड़ 2001 - UTI घोटाला, 32 करोड़ 2001 - केतन पारिख प्रतिभूति घोटाला, 1,000 करोड़ 2002 - संजय अग्रवाल गृह निवेश घोटाला, 600 करोड़ 2002 - कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज घोटाला, 120 करोड़ 2003 - स्टाम्प घोटाल...

कन्याहत्या अपराध है

😔 कोर्ट में एक अजीब मुकदमा आया 😔 😔 एक सिपाही एक कुत्ते को बांध कर लाया 😔 😔 सिपाही ने जब कटघरे में आकर कुत्ता खोला 😔 😔 कुत्ता रहा चुपचाप, मुँह से कुछ ना बोला..! 😔 😔 नुकील े दांतों में कुछ खून-सा नज़र आ रहा था 😔 😔 चुपचाप था कुत्ता, किसी से ना नजर मिला रहा था 😔 😔 फिर हुआ खड़ा एक वकील ,देने लगा दलील 😔 😔 बोला, इस जालिम के कर्मों से यहाँ मची तबाही है 😔 😔 इसके कामों को देख कर इन्सानियत घबराई है 😔 😔 ये क्रूर है, निर्दयी है, इसने तबाही मचाई है 😔 😔 दो दिन पहले जन्मी एक कन्या, अपने दाँतों से खाई है 😔 😔 अब ना देखो किसी की बाट 😔 😔 आदेश करके उतारो इसे मौत के घाट 😔 😔 जज की आँख हो गयी लाल 😔 😔 तूने क्यूँ खाई कन्या, जल्दी बोल डाल 😔 😔 तुझे बोलने का मौका नहीं देना चाहता 😔 😔 लेकिन मजबूरी है, अब तक तो तू फांसी पर लटका पाता 😔 😔 जज साहब, इसे जिन्दा मत रहने दो 😔 😔 कुत्ते का वकील बोला, लेकिन इसे कुछ कहने तो दो 😔 😔 फिर कुत्ते ने मुंह खोला ,और धीरे से बोला 😔 😔हाँ, मैंने वो लड़की खायी है😔 😔अपनी कुत्तानियत निभाई है😔 😔कुत्ते का धर्म है ना दया दिखाना😔 😔माँस चाहे किसी क...

आजकल एक बड़ा खतरनाक प्रचलन चला है हिन्दुओं में

आजकल एक बड़ा खतरनाक प्रचलन चला है हिन्दुओं में, वह यह कि जैसे ही कोई त्यौहार आने वाला होता है, खुद हिन्दू ही उस त्यौहार को ऐसे पेश करते हैं जैसे वो उनके ऊपर बोझ है : 1) रक्षाबंधन पर मूर्खता : कुछ हिन्दू ऐसे मैसेज भेजते हैं कि ||कोई भी अनजान चीज को हाथ नहीं लगाये, उसमें राखी हो सकती है !! || अरे कूल dude !! तुम्हारे लिए अपनी बहन बोझ बन रही है?? तुम तो राखी का मज़ाक़ बना बैठे हो, तुम क्या अपनी माँ बहन की रक्षा करोगे? राखी एक रक्षा सूत्र है, अगर तुम भूल रहे हो तो याद दिलाऊँ राजस्थान में औरतें अपनी रक्षा के लिए जोहर कर आग में कूद जाती थी। रानी पद्मिनी के साथ 36000 औरतें जोहर हो गयी थीं। एक महिला की रक्षा मज़ाक लगती है ??? 2) दशहरा पर मूर्खता : यह मैसेज आजकल खूब प्रचलन में है कि || रावण सीता जी को उठा ले गया है और राम जी लंका पर चढ़ाई करने जा रहे हैं, उसके लिये बंदरो की आवश्यकता है, जो भी मैसेज पढ़े तुरंत निकल जाये || वाह!!! आज सीता अपहरण हिन्दुओं के लिए मज़ाक़ का विषय हो गया है। जोरू का गुलाम बनना गर्व का विषय और राम का सैनिक बनना मज़ाक़ हो रहा है!!! दूसरा जोक || रावण को कोर...

माँ

पहली बार किसी गज़ल को पढ़कर आंसू आ गए... शख्सियत, ए 'लख्ते-जिगर, कहला न सका जन्नत के धनी "पैर" कभी सहला न सका दुध, पिलाया उसने छाती से निचोड़कर, मैं "निकम्मा"कभी एक ग्लास पानी पिला न सका बुढापे का "सहारा" हूँ 'अहसास' दिला न सका पेट पर सुलाने वाली को 'मखमल पर सुला न सका वो ''भूखी''सो गई 'बहू' के डर से एक बार मांगकर मैं "सुकुन" के दो निवाले उसे खिला न सका नजरें उन बुढी "आंखों" से कभी मिला न सका वो ''दर्द'' सहती रही मैं खटिया पर तिलमिला न सका जो हर "रोज़" ममता के रंग पहनाती रही मुझे उसे "दीवाली" पर दो जोड़े कपड़े सिला न सका बिमार बिस्तर से उसे ''शिफा''दिला न सका खर्च के डर से उसे बडे़ अस्पताल ले जा न सका माँ के बेटा कहकर ''दम'' तौड़ने के बाद से अब तक सोच रहा हूँ ''दवाई'' इतनी भी महंगी न थी के मैं ला ना सका माँ

Way Of Thinking! ☺🌱नजरिया🌱

😭  Way Of Thinking!  ☺ 🌱 नजरिया 🌱 एक महान लेखक अपने लेखन कक्ष में बैठा हुआ लिख रहा था। 1) पिछले साल मेरा आपरेशन हुआ और मेरा गालब्लाडर निकाल दिया गया। इस आपरेशन के कारण बहुत लंबे समय तक बिस्तर पर रहना पड़ा। 2) इसी साल मैं 60 वर्ष का हुआ और मेरी पसंदीदा नौकरी चली गयी। जब मैंने उस प्रकाशन संस्था को छोड़ा तब 30 साल हो गए थे मुझे उस कम्पनी में काम करते हुए। 3) इसी साल मुझे अपने पिता की मृत्यु का दुःख भी झेलना पड़ा। 4) और इसी साल मेरा बेटा कार एक्सिडेंट हो जाने के कारण मेडिकल की परीक्षा में फेल हो गया क्योंकि उसे बहुत दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा। कार की टूट फूट का नुकसान अलग हुआ। अंत में लेखक ने लिखा, **वह बहुत ही बुरा साल था। 😢 जब लेखक की पत्नी लेखन कक्ष में आई तो उसने देखा कि, उसका पति बहुत दुखी लग रहा है और अपने ही विचारों में खोया हुआ है। अपने पति की कुर्सी के पीछे खड़े होकर उसने देखा और पढ़ा कि वो क्या लिख रहा था। वह चुपचाप कक्ष से बाहर गई और थोड़ी देर बाद एक दूसरे कागज़ के साथ वापस लौटी और वह कागज़ उसने अपने पति के लिखे हुए कागज़ के बगल में रख दिया। लेख...

बेटी ही दहेज है

एक कवि नदी किनारे खड़ा था तभी उसने एक लड़की के शव को नदी मे बहते देखा तो कवि ने प्रश्न किया:- कौन हो तुम ओ सुकुमारी बह रही हो इस नदी जल मे कोई तो होगा तेरा अपना मानव निर्मित इस भू तल मे किस घर की तुम बेटी हो किस क्यारी की कली हो तुम किसने तुमको छला है बोलो क्यो दुनियां छोड़ चली हो तुम कवि राज मुझे क्षमा करे गरीब पिता की बेटी हूं इसलिए मृत मीन की भांति जल धारा पर लेटी हूं रूप रंग और सुंदरता ही मेरी पहचान बताते है कंगन चूड़ी मेहंदी बिंदिया सुहागन मुझे बनाते है पिता के दु:ख को दु:ख समझा पिता के दु:ख मे दु:खी थी मैं जीवन के इस पथ पर पति के संग चली थी मैं पति को मैने दीपक समझा उसकी लौ मे जली थी मैं मात पिता का आंगन छोड़ उस के रंग मे रंगी थी मैं पर वो निकला सौदागर लगा दिया मेरा भी मोल धन दौलत दहेज की खातिर जल मे मिला, दिया विष घोल दुनिया रूपी इस उपवन मे इक छोटी सी कली थी मैं जिसको समझा था माली उसी के द्वारा छली थी मैं ईश्वर से अब न्याय मांगने शव शैया पर पड़ी हूं मैं दहेज के लोभी इस संसार मे दहेज की भेंट चढ़ी हूं मैं ।।